प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PM Dhan Dhaanya Krishi Yojana – PMDDKY)
वर्ष 2025 की सबसे बड़ी कृषि सुधार पहलों में से एक है, जिसे भारतीय कृषि प्रणाली को आधुनिक, उत्पादक और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 11 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में “विशेष कृषि कार्यक्रम” के दौरान लॉन्च किया ।

योजना की पृष्ठभूमि और आरंभ
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना की घोषणा पहली बार केंद्रीय बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। इसके बाद 16 जुलाई 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इसकी औपचारिक मंजूरी दी गई। यह छह वर्षीय योजना (2025-26 से 2030-31 तक) देश के 100 पिछड़े कृषि जिलों में लागू की जाएगी। इन जिलों का चयन तीन प्रमुख मानकों — कम उत्पादकता, कम फसल तीव्रता, और कम कृषि ऋण वितरण — के आधार पर किया गया है ।
इस योजना का वार्षिक बजट 24,000 करोड़ रुपये है, जो छह वर्षों में कुल 1.44 लाख करोड़ रुपये होगा। इसका लक्ष्य लगभग 1.7 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुँचाना है, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान जो दो हेक्टेयर से कम भूमि के स्वामी हैं ।
योजना का उद्देश्य
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का उद्देश्य केवल किसानों की आय बढ़ाना नहीं है, बल्कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को टिकाऊ और जलवायु-संवेदनशील बनाना है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं:
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना।
- फसल विविधीकरण और वैकल्पिक खेती प्रणालियों को प्रोत्साहित करना।
- फसल के बाद भंडारण और प्रसंस्करण क्षमता को मजबूत बनाना ताकि नुकसान कम हो।
- सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना।
- किसानों को दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋण सहायता देना।
- हर जिले में कृषि दक्षता के लिए स्थानीय मास्टर प्लान तैयार करना।
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी नई योजना को नहीं लाती बल्कि 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा कृषि योजनाओं का समन्वय कर उन्हें एक मंच पर लाती है। इससे योजनाओं की दोहराव समाप्त होगी और किसानों तक हर स्तर पर समेकित लाभ पहुँचेगा ।
योजना का ढाँचा और कार्यप्रणाली
यह योजना केंद्र और राज्य सरकारों के समन्वय से जिला एवं ब्लॉक स्तर तक लागू की जाएगी। हर जिले में “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि समिति” (PMDDKY Committee) बनाई जाएगी, जिसमें अधिकारियों के साथ-साथ प्रगतिशील किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा।
इस समिति का कार्य होगा:
- जिले का कृषि विकास रोडमैप तैयार करना,
- संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना,
- और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से प्रगति ट्रैक करना ।
इसके अलावा, राज्यों की योजनाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी जोड़ा जाएगा ताकि तकनीकी और निवेश सहयोग मिल सके। योजना के अंतर्गत फसल, सिंचाई, संग्रहण, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे सभी कृषि क्षेत्रों में तेजी से विकास सुनिश्चित किया जाएगा ।
प्रमुख लाभ
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना से किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुआयामी लाभ होंगे:
- किसानों की आय में वृद्धि: यह योजना छोटे किसानों को उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने और उनके उत्पाद के उचित दाम पाने में मदद करेगी।
- कृषि में तकनीकी उन्नति: आधुनिक उपकरणों, ड्रोन टेक्नोलॉजी और एग्रीटेक इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- सिंचाई और जल प्रबंधन: माइक्रो-इरिगेशन, ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों का अधिक उपयोग होगा।
- भंडारण और प्रसंस्करण: ब्लॉक स्तर पर वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज यूनिट बनाए जाएंगे जिससे फसल नुकसान में कमी होगी।
- रोजगार के अवसर: कृषि से जुड़े उद्योगों जैसे प्रसंस्करण, मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी और मत्स्य पालन में लाखों रोजगार सृजित होंगे ।
लाभार्थी और चयन प्रक्रिया
इस योजना के तहत देश के हर राज्य से कम से कम एक जिला शामिल किया जाएगा। जिलों का चयन तीन प्रमुख मापदंडों पर आधारित होगा—
- Low Productivity (कम उत्पादकता): फसल उत्पादन राष्ट्रीय औसत से कम होने पर।
- Moderate Crop Intensity (मध्यम फसल तीव्रता): जहां फसल चक्र कम होते हैं।
- Below-Average Credit Access (कम कृषि ऋण पहुँच): जहां किसान ऋण सुविधाओं से वंचित हैं ।
योजना का लाभ सीधे रूप से किसानों को नहीं बल्कि जिला प्रशासनिक ढाँचे के माध्यम से सामूहिक रूप में दिया जाएगा, जिससे योजना अधिक व्यापक प्रभाव छोड़ेगी।
निगरानी और मूल्यांकन
PMDDKY की प्रगति को तीन स्तरों पर मॉनिटर किया जाएगा:
- जिला समिति (District Monitoring Unit)
- राज्य स्तरीय समिति
- राष्ट्रीय मॉनिटरिंग समिति
प्रत्येक स्तर पर योजना की प्रगति का मूल्यांकन डिजिटल पोर्टल और KPI (Key Performance Indicators) के आधार पर किया जाएगा। NITI Aayog को इस योजना की नीति और मूल्यांकन जिम्मेदारी दी गई है ताकि निर्णय पारदर्शी और डेटा-आधारित हों ।
आत्मनिर्भर भारत और भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना केवल एक सरकारी पहल नहीं बल्कि “आत्मनिर्भर भारत अभियान” की रीढ़ मानी जा रही है। कृषि क्षेत्र में समग्र सुधार के माध्यम से यह योजना छोटे किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी ।
प्रधानमंत्री मोदी ने योजना के शुभारंभ समारोह में कहा कि “यह योजना केवल खेती को नहीं, बल्कि किसान के जीवन को भी बदलने का संकल्प है।”.
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना किसानों के जीवन में ऐतिहासिक बदलाव लाने की दिशा में एक निर्णायक पहल साबित हो सकती है। 1.44 लाख करोड़ रुपये की इस योजना का उद्देश्य केवल उपज बढ़ाना नहीं बल्कि भारतीय कृषि को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के स्तर पर ले जाना है। जब यह योजना पूरी तरह से लागू होगी, तब यह देश के ग्रामीण विकास और कृषि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी ।
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