सरवा शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan) योजना: सम्पूर्ण जानकारी
भारत एक विकासशील देश है, और किसी भी राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार उसकी शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और इसी दिशा में भारत सरकार ने वर्षों पहले एक ऐतिहासिक कदम उठाया जिसे “सर्व शिक्षा अभियान (SSA)” कहा जाता है। यह योजना इस उद्देश्य से चलाई गई थी कि भारत का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे और हर बच्चे को प्राथमिक स्तर पर निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो।
इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि सर्व शिक्षा अभियान क्या है, इसका इतिहास, उद्देश्य, लाभ, विशेषताएं, चुनौतियाँ और वर्तमान में इसका महत्व क्या है।
सर्व शिक्षा अभियान क्या है?
सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan – SSA) भारत सरकार की एक प्रमुख शिक्षा संबंधी योजना है, जिसे 2001 में शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना था।
बाद में इस योजना को शिक्षा का अधिकार (Right to Education – RTE) अधिनियम 2009 के साथ जोड़ दिया गया। इसका अर्थ यह हुआ कि अब 6 से 14 वर्ष की आयु के हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का संवैधानिक अधिकार मिल गया।
सर्व शिक्षा अभियान का इतिहास
- 1986: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू की गई, जिसमें सभी बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने की बात कही गई।
- 1992: नीति में संशोधन कर प्राइमरी शिक्षा को और मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया।
- 2001: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई।
- 2009: शिक्षा का अधिकार कानून (RTE Act) लागू हुआ और इसे SSA के साथ जोड़ दिया गया।
- 2018: SSA को समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) में विलय कर दिया गया, जिसमें SSA, RMSA (Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan) और शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम को एक साथ मिला दिया गया।
सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य
सर्व शिक्षा अभियान का मुख्य लक्ष्य केवल बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाना नहीं था, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना भी था। इसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं –
- 6 से 14 वर्ष तक के हर बच्चे को शिक्षा दिलाना।
- बच्चों के नामांकन, रोकथाम और स्थायित्व में सुधार करना।
- लड़कियों और पिछड़े वर्गों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ना।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षा की असमानताओं को खत्म करना।
- शिक्षा में गुणवत्ता सुधारना – अच्छे शिक्षक, आधुनिक सुविधाएं और नई तकनीक का उपयोग।
- विकलांग बच्चों को भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना।
- शिक्षा को समाज का साझा उत्तरदायित्व बनाना।
सर्व शिक्षा अभियान की प्रमुख विशेषताएं
- नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा – 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा।
- स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर – नए स्कूलों का निर्माण, पुराने स्कूलों का नवीनीकरण।
- मिड-डे मील योजना – बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करना।
- लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान – अलग से योजनाएं और छात्रवृत्ति।
- ICT आधारित शिक्षा – कंप्यूटर, स्मार्ट क्लास और डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराना।
- समान अवसर – SC/ST, OBC, अल्पसंख्यक और गरीब वर्ग के बच्चों पर विशेष फोकस।
- शिक्षक प्रशिक्षण – शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने के लिए नियमित प्रशिक्षण।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत लागू कार्यक्रम
- मिड-डे मील योजना
- बालिका शिक्षा कार्यक्रम
- विद्यालय विकास योजना
- विशेष प्रशिक्षण केंद्र – स्कूल से बाहर बच्चों के लिए
- विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) – माता-पिता और समुदाय की भागीदारी
- विकलांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा (IEED)
सर्व शिक्षा अभियान का वित्त पोषण (Funding Pattern)
- प्रारंभ में फंडिंग पैटर्न 85:15 (केंद्र:राज्य) था।
- बाद में इसे 60:40 (केंद्र:राज्य) और 90:10 (विशेष राज्यों के लिए) कर दिया गया।
- इसका बजट केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर तय करती थीं।
सर्व शिक्षा अभियान के लाभ
- शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित हुआ – 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को संवैधानिक अधिकार मिला।
- बच्चों का नामांकन बढ़ा – स्कूल छोड़ने वालों की संख्या कम हुई।
- लड़कियों की शिक्षा में सुधार – विशेष योजनाओं से लड़कियों की संख्या बढ़ी।
- साक्षरता दर में वृद्धि – 2001 से अब तक साक्षरता दर में तेजी आई।
- बुनियादी ढांचे में सुधार – नए स्कूल, पुस्तकालय, शौचालय और प्रयोगशालाएं बनीं।
- ड्रॉप-आउट कम हुआ – मिड-डे मील जैसी योजनाओं से बच्चे स्कूल में टिके रहे।
सर्व शिक्षा अभियान की चुनौतियाँ
- गुणवत्ता शिक्षा की कमी – कई जगहों पर केवल दाखिला बढ़ा लेकिन शिक्षा का स्तर नहीं।
- शिक्षकों की कमी – योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी रही।
- ग्रामीण-शहरी अंतर – शहरों और गांवों में शिक्षा की गुणवत्ता में अंतर।
- इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या – कई स्कूलों में शौचालय, बिजली, पानी जैसी सुविधाओं की कमी।
- ड्रॉप-आउट रेट – अभी भी गरीब परिवारों के बच्चे काम करने के लिए स्कूल छोड़ देते हैं।
सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े आंकड़े
- 2001 में शुरूआत के समय 6 करोड़ से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर थे।
- 2014 तक अधिकांश बच्चों को स्कूल में नामांकित किया जा चुका था।
- 2018 में समग्र शिक्षा अभियान के तहत SSA को RMSA के साथ मिला दिया गया।
वर्तमान में SSA का महत्व
आज के समय में SSA सीधे रूप से लागू नहीं है, बल्कि यह Samagra Shiksha Abhiyan का हिस्सा बन चुका है। लेकिन इसके मूल लक्ष्य अब भी वही हैं –
- सभी बच्चों को समान शिक्षा का अवसर।
- डिजिटल लर्निंग और स्मार्ट क्लास की शुरुआत।
- शिक्षा में तकनीकी सुधार और रोजगार उन्मुख शिक्षा।
निष्कर्ष
सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार की एक ऐसी ऐतिहासिक पहल थी जिसने देश के लाखों बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा। इस योजना ने न केवल बच्चों का भविष्य संवारा बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ाई।
हालांकि चुनौतियां अभी भी हैं, लेकिन यह योजना भारत को “शिक्षित भारत” बनाने की दिशा में सबसे बड़ा कदम साबित हुई है।
FAQ – सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. सर्व शिक्षा अभियान कब शुरू किया गया था?
👉 वर्ष 2001 में।
Q2. इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
👉 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा दिलाना।
Q3. SSA और RTE में क्या संबंध है?
👉 2009 में शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून SSA के साथ जोड़ा गया।
Q4. वर्तमान में SSA का क्या रूप है?
👉 इसे समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) में विलय कर दिया गया है।
Q5. क्या यह योजना सफल रही है?
👉 हाँ, इसने नामांकन और साक्षरता दर में सुधार किया है, हालांकि गुणवत्ता सुधार की चुनौती अभी भी है।